Meri Pehli Gaad Chudai: दोस्तों, मेरा नाम सैफ है. मैं Delhi से हूँ.
आज मैं आप सभी के साथ मेरी पहली गाड़ चुदाई कहानी साझा करना चाहता हूँ.
अब तक मुझे कई बार अपनी Gay Sex Stories Hindi आप सभी को बताने का मन हुआ… लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा था कि इसे कैसे बताऊँ… और कहाँ बताऊँ.
वहाँ मैंने बहुत सारी समलैंगिक सेक्स कहानियाँ पढ़ीं और मैंने तय किया कि मैं अपनी कहानी यहाँ ज़रूर साझा करूँगा.
यह कुछ साल पहले की बात है.
उस समय मेरी उम्र 21 साल थी. उस समय मुझे पुरुषों में दिलचस्पी होने लगी थी.
मैं अक्सर सड़क के किनारे खड़ा होकर पेशाब करने वाले पुरुषों के पास खड़ा होकर उनके लिंग को देखने की कोशिश करता था.
चूँकि पेशाब करते समय लिंग उत्तेजित नहीं होता है, इसलिए यह अपने सामान्य आकार में रहता है.
उस समय मैं किसी व्यक्ति के लिंग के आकार को देखकर सही जानकारी प्राप्त कर लेता था कि उसका लिंग इतना बड़ा हो सकता है.
अपने इस अनुभव से मैंने तय कर लिया था कि पतले पुरुषों का लिंग बड़ा और मोटा होता है जबकि मोटे पुरुषों का लिंग तुलनात्मक रूप से छोटा होता है।
मेरी इस आदत के कारण मुझे कुछ पुरुषों की छुपी हुई निगाहों से सेक्स के प्रस्ताव मिले।
लेकिन उस समय तक मुझे इस बात का अहसास नहीं था कि मैं समलैंगिक बन चुका हूँ।
हालाँकि मेरा खुद का लिंग एक औसत पुरुष के लिंग के आकार का है और खड़ा होने पर यह बहुत कठोर भी हो जाता है।
लेकिन तब भी मुझे यकीन नहीं था कि मैं समलैंगिक बन चुका हूँ।
उस समय मैं अपने मामा के ससुराल में एक शादी में गया हुआ था।
मैं शादी से कुछ दिन पहले ही वहाँ पहुँच गया था।
मेरे मामा के घर बहुत से रिश्तेदार आने वाले थे।
मैं भी बहुत उत्साहित था कि मैं सभी से मिलूँगा और मौज-मस्ती करूँगा।
जब मैं वहाँ पहुँचा तो घर में शादी का माहौल था।
वहाँ पहले से ही बहुत से लोग मौजूद थे।
जब मैं वहाँ पहुँचा तो मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
वहाँ मेरी उम्र के कई लड़के थे।
मैं उनके पास जाकर बैठ गया और बातें करने लगा।
उन लड़कों में से एक था नदीम।
वह बहुत गोरा और चिकना भी था।
उसका शरीर किसी जिमनास्ट जैसा था।
उसे देखते ही मैं उस पर फ़िदा हो गया।
उससे बात करते-करते मैं बाकी सभी लोगों से भी परिचित हो गया।
कुछ ही समय में नदीम मुझसे काफ़ी घुल-मिल गया।
मेरी उसमें दिलचस्पी देखकर वह मुझे बहुत गले लगाने लगा और बार-बार मेरे शरीर को सहला रहा था।
उसका इस तरह सहलाना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
मैं भी उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे गले लगाने की कोशिश करने लगा।
अब हम सब टहलने निकल पड़े।
हम काफ़ी देर तक टहलते रहे और कुछ देर बाद घर वापस आ गए।
यह बहुत अच्छा गाँव था।
नदीम ने मुझे बताया कि गाँव में एक नहर भी है। सभी लड़के अक्सर उसमें नहाते हैं।
उसने मुझे अगले दिन नहाने के लिए अपने साथ चलने को कहा।
मैंने उसकी बात मान ली।
जब शाम हुई, तो सभी लोग घर लौट चुके थे और डिनर का सत्र शुरू हो चुका था।
मैंने डिनर किया और अपने लिए आवंटित कमरे में चला गया।
नदीम का सामान भी वहीं रखा था और वह भी मेरे साथ उसी कमरे में रहने वाला था।
मैं इससे बहुत खुश था।
अब नदीम और मैं एक ही बिस्तर पर लेट गए।
हम काफी देर तक बातें करते रहे।
फिर हम दोनों को नींद आने लगी।
आधी रात के करीब मुझे लगा कि नदीम उठकर कहीं जा रहा है।
लेकिन मैं वहीं लेटा रहा और देखने के लिए अपनी आँखें खोलीं।
मैंने देखा कि नदीम कमरे का दरवाज़ा बंद कर रहा था।
मुझे कुछ संदेह हुआ कि वह दरवाज़ा बंद करके क्या करने की कोशिश कर रहा है।
वह दरवाज़ा बंद करके वापस आया और फिर से मेरे बगल में लेट गया।
मैं आँखें बंद करके लेटा हुआ था।
अब नदीम ने अपना हाथ मेरे ऊपर रखा और जाँचने लगा कि मैं प्रतिक्रिया करता हूँ या नहीं।
पर मैंने कुछ नहीं किया।
अब उसका हाथ मेरे नितम्बों पर सरक गया पर मैं वैसे ही लेटी रही।
मैं हिल भी नहीं रही थी क्योंकि कुछ दिनों से मेरा लड़कों के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा था… और मुझे नहीं पता कि ऐसा क्यों हो रहा था।
लड़कों के प्रति मेरा बढ़ता आकर्षण काफी प्रबल हो गया था।
इस समय उसका सहलाना मुझे बहुत राहत दे रहा था।
वो मेरे नितंबों को सहला रहा था, जिसकी वजह से मेरे शरीर में एक अजीब सी दुविधा थी कि क्या करूँ और क्या न करूँ।
अब उसने अपना हाथ मेरी लोअर के अंदर डाल दिया और अपनी उंगली से मेरी गांड के छेद को सहलाने लगा।
ये सब मेरे लिए पहली बार था, इसलिए मेरा शरीर बेकाबू होने लगा।
मेरा लिंग भी पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और जैसे ही उसके हाथ ने गांड के छेद पर जोर लगाया, लिंग से तरल पदार्थ निकलने लगा।
उसी समय मैंने अपनी आँखें खोलीं।
मैं उसकी तरफ देखने लगा और वो मेरी तरफ देखने लगा।
मैंने कुछ नहीं कहा, बस उसके सीने से लग गई और मैंने उसका लिंग पकड़ लिया।
उसका लिंग गर्म था, मैं उसे सहलाने लगी।
अब उसने बेखौफ होकर मेरी लोअर उतार दी और मेरी गांड को सहलाने लगा।
मेरा वीर्य पहले ही निकल चुका था, इसलिए अब मेरा लिंग खड़ा नहीं हो रहा था।
लेकिन नदीम का लिंग एकदम सीधा था, जैसे कोई सख्त खीरा हो।
उसने मुझे बिस्तर से उठाया और घुटनों के बल बैठाकर मुझे अपना लंड चूसने को कहा।
पहले तो मुझे अजीब लगा लेकिन फिर मैंने उसका लंड चूसना शुरू कर दिया।
चूसने से मैंने उसका लंड गीला कर दिया था और अब वो भी मेरी गांड का मज़ा लेने के लिए तैयार था।
उसने मुझे बिस्तर पर झुकाकर खड़ा किया और अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रगड़ने लगा।
थोड़ी देर रगड़ने के बाद उसने मेरी गांड के छेद पर ढेर सारा थूक थूका और अपना लंड का सिरा छेद पर सेट कर दिया।
मैं अभी भी उसके लंड का सिरा महसूस कर रही थी जब उसने मुझे एक जोरदार झटका दिया।
उसका लंड अंदर नहीं गया लेकिन मैं मुंह के बल बिस्तर पर गिर पड़ी।
उसका पहला प्रयास विफल रहा लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।
उसने फिर से प्रयास किया और इस बार उसका घोड़ा पूरी सफलता के साथ प्रवेश द्वार को तोड़ता हुआ अंदर घुस गया।
दरवाजा टूटते ही ऐसा लगा जैसे भूकंप आ गया हो,
किले की दीवार हिल गई और मैं एक ही बार में सीधा खड़ा हो गया।
मैंने अपनी गांड को जोर से दबाना शुरू कर दिया क्योंकि सील टूट चुकी थी।
जब सील टूटी… ऐसा लगा जैसे मेरे शरीर की कोई हड्डी टूट गई हो।
दर्द इतना तेज था कि मैं सोच ही नहीं पा रहा था कि क्या करूँ।
ऐसा लगा जैसे मेरी गांड में कोई गर्म लोहे की रॉड डाल दी गई हो।
फिर नदीम ने मुझे फिर से बिस्तर पर झुका दिया और मेरी कमर को कस कर पकड़ लिया।
उसने फिर से अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया।
इस बार मैं कुछ नहीं कर सका और बस बेबसी में कराहने लगा।
उसका लंड लोहे की रॉड की तरह मेरी गांड चोद रहा था।
मेरी गांड में बहुत तेज सनसनी हो रही थी।
ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोटा कार्डबोर्ड फाड़ा जा रहा हो।
मैं भारी हो गया था और मेरा दिमाग सुन्न हो गया था।
दूसरी तरफ नदीम के धक्के मेरी गांड को कुचल रहे थे।
लेकिन थोड़ी देर बाद मेरी गांड का दर्द अपने आप कम होने लगा और मुझे चुदाई में मजा आने लगा।
मैं एक आज्ञाकारी छात्र की तरह उसकी बात मानने लगा।
अब उसने मुझे खड़ा किया और दीवार के सहारे झुका दिया।
उसने मुझसे अपने नितंब बाहर निकालने को कहा।
मैंने ठीक वैसा ही किया।
मैंने अपने नितंब बाहर निकाले और उसके लंड का स्वाद चखने लगा।
वो न सिर्फ़ मुझे चोद रहा था, बल्कि मेरे स्तनों को भी ऐसे दबा रहा था जैसे चाशनी बनाते समय बेल को निचोड़ा जाता है।
कुछ देर तक ऐसे ही चोदने के बाद उसने मुझे फिर से घोड़ी बना दिया और ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा।
उस समय मेरी गांड नहीं चुद रही थी, बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे मैं उड़ते हुए घोड़े पर सवार होकर आसमान में घूम रही हूँ।
मेरी आँखें बंद थीं, दोनों हाथ ज़मीन पर थे।
मेरी गांड ऊपर की तरफ़ थी और मैं बस चुद रही थी।
फिर समय ने करवट बदली और नदीम बिस्तर पर सीधा लेट गया।
उसका लंड मेरी नाभि से टकरा रहा था।
अचानक उसने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाल लिया।
उसने अपने हाथ से अपना लंड खड़ा किया और मुझे पलट कर उस पर बैठने को कहा।
मैंने ठीक वैसा ही किया। मैं उसके लंड पर उसकी तरफ़ मुँह करके बैठ गई और अपनी गांड उछालने लगी।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसके होंठों को चूसने लगी। वो भी मेरे होंठों का रस पीने लगा।
उसका लंड अब मेरी गांड में आराम कर रहा था लेकिन धीरे-धीरे अंदर घुस रहा था।
हमारे शरीर एक दूसरे से जुड़े हुए थे। हम दोनों एक दूसरे के होंठों का रस पी रहे थे।
उसका घोड़ा किले के अंदर घूम रहा था।
फिर मैं खड़ी हुई और बिस्तर पर मुँह के बल लेट गई और अपनी टाँगें फैला दीं।
नदीम ने फिर से मेरी गांड चोदना शुरू कर दिया। वो मेरे ऊपर था और अपने कूल्हों को मेरी गीली गांड पर पटक रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और पूरे जोश के साथ मेरा तबला बजाने लगा।
तबले से थप थप की आवाज़ आ रही थी।
बजाते-बजाते उसने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाला और मुझे सीधा बैठा दिया और अपना लंड रस मेरे चेहरे पर गिराने लगा।
जैसे ही उसका वीर्य निकला उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने उसका थोड़ा सा लंड रस पी लिया।
अपना लंड रस गिराने के बाद वो भी एक तरफ लुढ़क गया और मैंने भी अपना मुँह साफ़ किया।
हम दोनों पूरी रात ऐसे ही नंगे लेटे रहे।
फिर वो खूबसूरत रात सुबह में बदल गई और हम दोनों कपड़े पहनकर बाहर आ गए।
अगले ही दिन हम दोनों नहर में नहाने गए।
वहाँ मैं, वो और उसके कुछ दोस्त थे।