नमस्ते दोस्तों. ये कहानी तब की है जब मेरी मौसी की बेटी कुमकुम और उसकी छोटी बहन गुनगुन कुछ दिनों के लिए मेरे घर रहने आई थी. वो दोनों अपनी माँ के साथ आई थी. एक दिन जब कुमकुम नहाने गई तो मैं उस समय अपने कमरे में था. वो बाथरूम से नहा कर आई थी और कपड़े पहन रही थी. तभी मैं किसी काम से वहाँ आया और मैंने देखा कि वो नंगी थी और उसकी गांड दिख रही थी. मैंने चुपचाप उसे देखा और अपने कमरे में वापस आ गया.
उसे ऐसे नंगी देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं खुद को रोक नहीं सका तो मैं उसे याद करके अपना लंड हिलाने लगा. अब मैं उस पर नज़र रखने लगा क्योंकि वो मुझे चोदने लायक माल लगने लगी थी. भाई बहन की चुदाई की कहानी यहीं से शुरू हुई. दो दिन बाद वो दोपहर में सो रही थी तो मैं उसके पास जाकर लेट गया. कुछ देर तक मैं उसके बदन की गर्मी महसूस करता रहा और अपने अंदर की वासना की ज्वाला से खुद को जलाता रहा. फिर जब मैं खुद पर काबू नहीं रख पाया तो मैंने उसके रसीले होंठों से अपने होंठ छू लिए. मैंने बस अपने होंठ उसके होंठों से चिपकाये रखे, मैंने उसे चूमा नहीं। उसकी नाक से निकलती गर्म साँसें मुझे हर पल उत्तेजित कर रही थीं।
हालाँकि यह सब मेरे अंदर हो रहा था, पर उसकी तरफ से अब तक कोई हरकत या प्रतिक्रिया नहीं हुई थी। जब उसने कोई विरोध नहीं किया, तो मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबाया और उसे हल्के से चूमा।
उसकी तरफ से अभी भी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई और वह बेहोश होकर सो रही थी। मेरा लंड जल रहा था और मैं कुछ भी करने से डर रहा था। इसलिए मैंने आगे कुछ न करने का फैसला किया और मैं उसके पास से उठकर अपने कमरे में चला गया।
मुझे नहीं पता था कि मेरे साथ क्या होने वाला है। मैं अपने बिस्तर पर आकर लेट गया और अपने लंड को सहलाने लगा। अपनी आँखें बंद करके मैं बस उसके होंठों के बारे में सोच रहा था और सोच रहा था कि कब मुझे उसकी चूत चोदने का मौका मिलेगा।
मैं बस अपने लंड को सहलाकर खुद को ठंडा करने की कोशिश कर रहा था कि तभी वह मेरे कमरे में आई और मेरे बगल में लेट गई और मुझे चूमने लगी। मैं हैरान रह गया कि आखिर हुआ क्या था। मैंने अपनी आँखें खोलीं… और मेरी बहन कुमकुम मुझे चूम रही थी।
मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि कुमकुम मुझे किस कर रही है। जब वो अपने होंठों से मेरे होंठों को खाती रही तो मैं भी उसे किस करने लगा। अभी हमने एक दूसरे का स्वाद भी ठीक से नहीं चखा था कि अचानक मेरी मौसी की आवाज़ आई और उसने अपनी बेटी को आवाज़ लगाई।
अपनी माँ की आवाज़ सुनते ही कुमकुम घबरा गई और वो उठकर चली गई। जाते-जाते उसने मुझे एक फ्लाइंग किस दिया और अपनी गांड हिलाते हुए चली गई। उस दिन इसके अलावा कुछ नहीं हुआ। पर अब आग लग चुकी थी और दोनों तरफ से सिग्नल ग्रीन हो चुका था।
मुझे अपने लिंग को समझाने में ज्यादा समय नहीं लगा कि बेटा, तेरे लिए छेद मिल गया है, जल्दी ही तू अपने छेद में आराम करेगा। अब मैं बहुत खुश था और उस दिन मैं अपनी बहन कुमकुम को देखकर हर समय मुस्कुराता रहा। वो भी मुझे देखकर मुस्कुराती रही।
बस घर पर सब होने की वजह से हम दोनों एक दूसरे से चिपक नहीं पा रहे थे। फिर भी जब भी मौका मिलता, मैं उसे छू रहा था और उसके स्तनों और गांड को छूने की कोशिश कर रहा था। अगले ही दिन सबकी नज़रों से छुपते हुए मैंने उसे पकड़ लिया और एक खाली कमरे में ले गया।
वो भी मुझसे चिपक गई और हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे। उस दिन उसने लोअर पहना हुआ था, तो ज्यादा समय नहीं लगा। मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी के अंदर डालकर उसकी चूत को महसूस किया और उसकी चूत को रगड़ते हुए उसे चूमता रहा।
उसने अपनी टाँगें खोल दीं और मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा। थोड़ी ही देर में वो चुदासी हो गई। उसके बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके होंठों को चूमने लगा। वो मुझे खाने लगी और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर मुझे एक बढ़िया चुम्बन का सुख दे रही थी।
अब मैंने उसका लोअर उतार दिया और उसकी पैंटी भी नीचे आ गई। मैंने अपना ध्यान उसके होंठों से हटा कर उसकी चूत पर देखा, एकदम गोरी चूत थी। फिर मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और उसकी चूत के होंठों से अन्दर का नज़ारा दिखा।
अन्दर से एकदम गुलाबी थी। मैंने उससे पूछा- अब तक तुमने कितनी बार सेक्स किया है? वो बोली- पहली बार है। और फिर क्या… मेरी तो जैसे जैकपॉट लग गई थी। मुझे मजा आ गया। मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रखा और चाटने लगा।
वो भी अपनी चूत चुसवाने का मजा ले रही थी। कुछ देर बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुँह के पास लाकर कहा- ले, चूस लॉलीपॉप! वो हंसते हुए मेरा लंड चूसने लगी। कुछ देर बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और धीरे धीरे हिलाने लगा।
इससे वो और उत्तेजित हो गई और बोली- बेबी कितना तड़पाओगे, जल्दी करो ना! मैंने कहा- थोड़ा दर्द होगा, बर्दाश्त कर लेना मेरी जान। उसने हाँ कर दी। जैसे ही उसने हाँ कहा, मैंने एक ज़ोर का झटका मारा और अपना आधा लंड उसकी चूत में डाल दिया।
वो ज़ोर से चीखी। मैं डर गया और मैंने जल्दी से उसके मुँह पर हाथ रख दिया और कहा- मरवाएगी क्या! वो कराह उठी और बोली- मैं मरवा रही हूँ… आह मम्मी… मैं मर गई… मेरी चूत फट गई! उसके ये कहते ही मैं जोर से हंस पड़ा।
वो बोली- साले, तू मेरी फाड़ कर हंस रहा है। जल्दी से निकाल इसे! नहीं तो मैं मर जाऊँगी। पर अब मैं उसकी एक भी बात नहीं सुनने वाला था। मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा और एक ज़ोर का झटका दिया। इस बार मेरा पूरा लंड अंदर चला गया।
वो संघर्ष करने लगी और उसके संघर्ष की वजह से मेरा हाथ उसके मुँह से हट गया। वो चिल्लाने लगी- आह मेरी चूत फट गई… आह कमीने इसे बाहर निकाल… मादरचोद आह… जल्दी से निकाल इसे… नहीं तो मैं मर जाऊँगी आह मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने जल्दी से उसका मुँह बंद किया और उसे सहला कर शांत करने लगा। कुछ देर बाद वो शांत हो गई और अपनी गांड हिला कर मेरे लंड का मज़ा लेने लगी. मैंने उसे धीरे धीरे चोदना शुरू किया. अब वो भी अपनी गांड उठा कर मेरे लंड से कुश्ती लड़ने लगी.
करीब दस मिनट बाद वो अकड़ गई और झड़ गई और उसकी चूत के रस की गर्मी से मैं भी उसके अंदर ही झड़ गया. वो बोली- तू अंदर क्यों झड़ गया? मैंने कहा- निकल तो गया है, तुझे दवाई ले लेनी चाहिए. वो हंस पड़ी. हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे. वो बोली- एक बार बाहर जाकर देख तो लेते हैं कि मम्मी वगैरह क्या कर रही हैं! मैंने अपने कपड़े पहने और बाहर जाकर देखा तो पाया कि बुआ मम्मी के साथ बाजार जाने के लिए तैयार हो रही थीं.
गुनगुन भी उनके साथ जा रही थी। मुझे देखकर बुआ ने अपनी बेटी कुमकुम के बारे में पूछा। मैंने कहा- वो सो रही है, तुम कहो तो उसे बुला लूँ? बुआ बोली- नहीं, कोई ज़रूरत नहीं है। उसे सोने दो, वो कह रही थी कि उसके सिर में दर्द है। शायद वो दवाई खाकर सो गई हो।
मैंने कुछ नहीं कहा। मम्मी बोली- अभी तुम घर पर ही रहो, हम लोग बाजार जा रहे हैं। आने में थोड़ा समय लग सकता है। मैंने कहा- ठीक है। जब तुम आने लगो तो मुझे बुला लेना, मैं अपने जाने का प्रबंध कर लूँगा। मम्मी ने हाँ कर दी।
जैसे ही वो दोनों बाहर गए, मैंने मेन गेट बंद किया और अपनी बहन के पास आ गया। वो मेरे आने का इंतज़ार कर रही थी। फिर हम दोनों के बीच धक्के-मुक्के शुरू हो गए। उस दिन मैंने अपनी बहन को चार बार चोदा। वो उठ ही नहीं पा रही थी।
थोड़ी देर बाद वो उठी और अपने कपड़े पहनकर बाहर चली गई। उस रात हम दोनों छत पर सोने के बहाने आए और एक दूसरे से बातें करने लगे। मौसी की छोटी बेटी गुनगुन भी नीचे से ऊपर आ गई और बोली- मैं भी ऊपर सो जाऊँगी।
मैंने कहा- हाँ, ठीक है। जब हम दोनों लेट गए, तो उसने कहा- मैं बीच में सो जाऊँगी। मैंने उसकी तरफ देखा और फिर अपनी सेटिंग कुमकुम की तरफ, वो मुस्कुराई। उसकी तरफ से हरी झंडी देखकर मैंने अपनी छोटी बहन गुनगुन की तरफ देखा। वो भी मस्त लड़की थी।
उसकी गांड भी तोप की तरह उठी हुई थी और उसके स्तन अपनी बड़ी बहन से बड़े थे। मैंने कहा- तुम सो सकती हो, पर ज्यादा शोर मत मचाना, चुपचाप सो जाना! उसने कहा- हाँ, ठीक है। उसने अपनी आँखें बंद कीं और लेट गई।
अभी दस मिनट ही हुए थे कि मैंने अपना लिंग बाहर निकाला और उसकी गांड के पास रख दिया। वो समझ गई कि मैंने अपना लिंग बाहर निकाल लिया है। फिर कुमकुम ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और मेरा हाथ पकड़ लिया। उसने इशारे से कहा- आज सो जाओ, कल करेंगे!
मैंने भी सिर हिलाकर हाँ कर दी। वो समझ गई कि मैं आज उसकी छोटी बहन को चोदने वाला हूँ। तो वो कुछ नहीं बोली और अपना मुँह फेर कर सोने चली गई. अब मैंने कुमकुम की छोटी बहन को पलटना शुरू किया. वो आँखें बंद करके लेटी हुई थी.
फिर उसकी आँखें थोड़ी हिलीं, तो मैं समझ गया कि वो सोई नहीं है, बस नाटक कर रही है. उसने स्कर्ट पहनी हुई थी, तो और भी आरामदेह था. मुझे ज़्यादा दिक्कत नहीं होने वाली थी. मैंने उसकी स्कर्ट उठाई और देखा कि उसकी चड्ढी में पहले से ही एक छेद था.
मैं अपना हाथ उस छेद के पास ले गया और अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी. उसकी चूत गीली थी, तो मैंने अपनी उंगली चूत के अंदर डाल दी. वो भी अपनी टाँगें थोड़ी खोलने लगी मेरी उंगली के लिए. मैं समझ गया कि लड़की लंड लेने आई है.
अब मैंने उसकी चड्ढी का छेद बड़ा किया और उसके बाद मैंने खुद को थोड़ा नीचे किया और पोजीशन बनाई. मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला और एक झटके में लंड अंदर डाल दिया. वो कुतिया चिल्लाई नहीं, उसने बस अपने हाथ से अपना मुँह दबाया और लंड को अंदर ले लिया!
पहले तो मुझे लगा कि लड़की अनुभवी है… पर जब मैंने उसकी तरफ देखा तो उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे और वो आँखें बंद करके रो रही थी।
मैंने उसकी चूत को हाथ से छुआ और उसकी चूत से खून भी निकल रहा था।
मैं समझ गया कि आज मेरे लंड की दो सील टूटने वाली थी। मैं अपनी छोटी बहन की चूत में धीरे धीरे अपना लंड चलाता रहा। आखिरकार उसे भी मज़ा आने लगा और जोरदार चुदाई शुरू हो गई।
करीब 30 मिनट की चुदाई में वो दो बार झड़ चुकी थी। उसके बाद मेरा लंड भी अपने चरम पर पहुँच गया और अब मेरा लंड झड़ने वाला था। मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाया। वो भी शायद समझ गई और उसने अपना मुँह खोल दिया।
मैंने अपने लंड का सारा वीर्य उसके मुँह में डाल दिया। कुमकुम ने ये सब देख लिया था। वो बोली- कमीने, तूने उसे भी चोदा? ये सुनकर उसकी बहन बोली- दीदी, तू अकेले ही मज़ा लेगा? मैं हँस पड़ा।
फिर क्या था… उस रात मैंने उन दोनों को खुली छत पर एक-एक करके चोदा और उन दोनों को अपने लंड की रंडी बना दिया. अब जब भी वो दोनों मेरे घर आती हैं, तो मैं उन दोनों को नंगी करके एक साथ चोदता हूँ.
फिर एक दिन जब मैं अपनी मौसी के घर गया, तो मौसी बोली- मैं बाजार जा रही हूँ, घर पर ही रहना. कुमकुम अकेली है तो उसका ख्याल रखना! मैंने हामी भरते हुए कहा- ठीक है मौसी! वो चली गई और इधर कुमकुम को पता ही नहीं चला कि मैं आया हूँ. वो बाथरूम में नहा रही थी.
मैंने मेन डोर बंद किया और बाथरूम के पास जाकर उसे आवाज़ दी- दरवाजा खोलो, मुझे पेशाब करना है. मेरी आवाज़ सुनकर वो खुश हो गई और अपनी माँ के बारे में पूछा. तो मैंने उसे बताया. उसने दरवाज़ा खोला. वो अंदर पूरी नंगी थी.
आज वो और भी हॉट लग रही थी. उसकी चूत से पानी टपक रहा था. उसने अपने स्तनों को मसलते हुए इठलाते हुए कहा- क्या काम है? मैंने कहा- आज चुदाई का मन कर रहा है! वो बोली- चलो, भाई-बहन की चुदाई का मजा लेते हैं!
मैं अंदर गया और उसकी चूत पर अपना मुंह रखकर चूसने लगा. तभी उसकी बहन भी स्कूल से वापस आ गई. जैसे ही उसने दरवाजा खटखटाया, मुझे लगा कि मेरी मौसी वापस आ गई है. मैं बाहर जाने ही वाला था कि बाहर से कुमकुम की बहन गुनगुन की आवाज आई, ‘दरवाजा खोलो!’
मैंने खुश होकर कहा- देखो मेरी जान, अब तुम्हारी बहन गुनगुन भी आ गई है. कुमकुम हंस पड़ी और बोली- आज तुम्हारे दोनों हाथों में लड्डू आने वाले हैं. मैंने दरवाजा खोला तो गुनगुन ने मुझे देखा और बोली- अरे वाह भाई, तुम कब आए? मैंने कहा- अभी-अभी आया.
जब वो अंदर आई, तो मैंने फिर से दरवाजा बंद कर दिया. वो आज भी स्कर्ट में थी. मैंने कहा- कुमकुम नहा रही है, तब तक हम दोनों कुछ करें? वो बोली- क्या? मैंने कहा- चलो कमरे में चलते हैं. वो बोली- हाँ, चलो! कमरे में आते ही मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया.
उसके बाद मैंने उसकी पैंटी उतार दी और बैठ कर उसकी चूत चूसने लगा. वो गरम हो गई. मैंने उसे डॉगी बनाया और कहा- आज मैं तेरी गांड में अपना लंड डालूँगा! वो बोली- नहीं भैया, उस दिन जब पहली बार चूत में डाला था, तब बहुत दर्द हुआ था… और आज अगर गांड में करोगे, तो फट कर फूल बन जाएगी.
मैंने कहा- अरे कुछ नहीं होगा! वो बोली- देख, धीरे से डालना. मैंने कहा- हाँ, ठीक है. जब मैंने उसकी गांड में अपना लंड डाला, तो वो बोली- आज मेरी गांड जरूर फटेगी… मैं इतना मोटा लंड नहीं झेल पाऊँगी!
जब मैंने उसकी गांड में अपना लंड डाला, तो उसने दर्द भरी आवाज़ निकाली ‘आउच, मम्मी, मैं मर रही हूँ.’ वो गाली देने लगी- मादरचोद… अपना लंड बाहर निकाल! तभी कुमकुम भी आ गई, बोली- मज़ा आ गया… साली रंडी, गांड में लंड लेने में मज़ा आया?
वो अपनी बहन को भी गाली देने लगी- साली कुतिया…तेरी वजह से मैंने उसके साथ सेक्स करना शुरू किया और अब मेरी गांड में दर्द हो रहा है, तो तुझे मज़ा आ रहा है? कुमकुम हंसने लगी और अपनी बहन के नीचे आकर उसकी चूचियाँ दबाते हुए उसकी चूत चाटने लगी।
मैं कुमकुम की छोटी बहन की गांड पर थूक लगाकर चोदता रहा। कुछ देर बाद उसे मज़ा आने लगा और बोली- दीदी, क्या तूने अपनी गांड में लंड लिया है? कुमकुम बोली- नहीं, मैं इतना मोटा लंड नहीं ले पाऊँगी… तू मज़ा ले।
छोटी वाली कहने लगी- अरे शुरू में ऐसा होता है… बाद में बहुत मज़ा आता है… तू एक बार ज़रूर ले। कुमकुम बोली- ठीक है। कुछ देर बाद मैंने कुमकुम को घोड़ी बनाया और उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया।
कुमकुम की गांड भी फट गई और उसकी दर्द भरी आवाज़ भी निकलने लगी। वो बोली- आज मैं मर गई, इस कुतिया ने मुझे मरवा दिया … आह साले ने पूरा अन्दर डाल दिया … आह आह मैं मर गई. कुमकुम की आंखें भर आईं. पर वो चुपचाप अपनी गांड चुदवाती रही.
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